25 हजार रुपए से कम वार्षिक फीस लेने वाले स्कूलों को अब स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर जानकारी अपलोड करना जरूरी नहीं होगा

भोपाल

मध्य प्रदेश सरकार ने 25 हजार रुपए से कम वार्षिक फीस वाले निजी स्कूलों को बड़ी राहत दी है। अब इन स्कूलों को फीस संबंधी जानकारी पोर्टल पर अपलोड करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस निर्णय से लगभग 16,000 स्कूलों को लाभ मिलेगा और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी।यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े और फीस बढ़ोतरी पारदर्शिता के साथ हो। सरकार का यह कदम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

मध्य प्रदेश में निजी स्कूलों को लेकर एक बड़ा फैसला सामने आया है। राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि जिन निजी विद्यालयों की किसी भी कक्षा में वार्षिक फीस 25 हजार रुपए या उससे कम है, उन्हें विभाग के पोर्टल पर फीस संबंधी जानकारी अपलोड करना अनिवार्य नहीं होगा। इस निर्णय से प्रदेश के लगभग 16,000 स्कूलों को राहत मिलेगी।राज्य में कुल 34,652 निजी स्कूल हैं, जिनमें से लगभग 18,000 स्कूलों की वार्षिक फीस 25 हजार रुपए से अधिक है। इन विद्यालयों को अब 15 मई तक पोर्टल पर कक्षा और संवर्गवार फीस संरचना की जानकारी अपलोड करनी होगी। शुरुआत में यह अंतिम तिथि 31 मार्च तय की गई थी, लेकिन तकनीकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इसे बढ़ाया गया है। यह नियम मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम-2020 के तहत लागू किया गया है, जो 31 जनवरी 2025 से प्रभावी हुआ है।

10% तक फीस बढ़ाने की छूट, लेकिन शर्तों के साथ

शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कोई भी विद्यालय सालाना 10% तक फीस वृद्धि बिना अनुमति कर सकता है। लेकिन इससे अधिक फीस वृद्धि के लिए संबंधित जिला समिति से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े और फीस बढ़ोतरी पारदर्शिता के साथ हो।

राज्य और जिला स्तर पर निगरानी समितियों का गठन

फीस संबंधी मामलों की निगरानी और शिकायतों के निवारण के लिए राज्य और जिला स्तर पर समितियों का गठन किया गया है। ये समितियां यह सुनिश्चित करेंगी कि सभी विद्यालय निर्धारित नियमों के अनुसार ही फीस निर्धारित करें और किसी भी प्रकार की मनमानी न हो। सरकार का यह कदम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button